महामारी कोरोना के कारण लगाया गया लॉकडाउन अब अपना असर दिखाता पड़ रहा है। सब्जियों की आसमान छूती महंगाई से परेशान उपभोक्ताओं को अब दाल के लिए अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी होगी, क्योंकि बीते एक महीने में प्रमुख दलहनों के दाम में 500 रुपये प्रतिक्विंटल का इजाफा हो गया है। आगे त्योहारी सीजन में दालों की मांग के मुकाबले आपूर्ति के कम रहने की आशंका बनी हुई है, जिससे महंगाई और बढ़ सकती है।
कोरोना वायरस से अपेक्षा की जा रही थी कि लॉकडाउन सभी चीज़ों का दाम आसमान छूता हो जाएगा। दाल कारोबारी बताते हैं कि घरेलू उत्पादन बीते दो साल में खपत के मुकाबले कम रहा है, जबकि आयात के जो कोटे तय किए गए हैं, उसके लिए भी लाइसेंस जारी करने में देर होने से कीमतों में बढ़त हुई है।
किसी भी आम इंसान के लिए और गरीब व्यक्ति के लिए दो वक्त की रोटी भी निकाल पाना बड़ा कठिन है और यहां, महंगाई अगर बढ़ती है तो इनके उपर सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा। कारोबारी व दलहन बाजार विशेषज्ञ चालू खरीफ सीजन की दलहन फसलों पर मौसम की मार से फसल खराब होने की भी आशंका जता रहे हैं।
अर्थव्यवस्था के साथ – साथ हमें और भी कामों को सुधारना है। बीते एक महीने में प्रमुख दलहन बाजारों में उड़द के दाम में 500 रुपये प्रतिक्विंटल का इजाफा हुआ है, जबकि तुअर के दाम में करीब 600 रुपये प्रतिक्विंटल की वृद्धि हुई है। वहीं, मूंग के भाव में 800 रुपये प्रतिक्विंटल की बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ-साथ चना के भाव में भी बीते सप्ताह तक 500 रुपये प्रतिक्विंटल का उछाल आया।
दालों के बढ़ते दामों से उन परिवारों के उपर बहुत प्रभाव पड़ेगा। जिनकी लॉकडाउन के दौरान नौकरियां गई हैं। ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के प्रेसीडेंट सुरेश अग्रवाल ने बताया कि तुअर और मूंग के आयात के लाइसेंस के लिए करीब 3,000 आवेदन किए गए हैं, लेकिन सरकार ने अब तक लाइसेंस जारी नहीं किए हैं।