नमस्कार! आज मैं फरीदाबाद आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया अदा करने आया हूँ। सोशल मीडिया पर अराजकता फैलाने के अलावा अब सभी को इसका सदुपयोग करना आ गया है। उदहारण के तौर पर बाबा का ढाबा प्रत्यक्ष का प्रखर प्रमाण है।
कुछ दिन पूर्व ही सोशल मीडिया पर एक क्रांति आई जिसने सभी फेरी वालों की मदद करने की मुहीम छेड़ दी। एक छोटी से वीडियो ने एक बुज़ुर्ग दंपति की दुनिया बदल दी। जहां खाने के लाले लगे हुए थे वहीं आज यह बुज़ुर्ग दंपति सोशल मीडिया की जान बन चुकी है।
पर बस अब और नहीं, जरा सोचिये कि इस देश में ऐसे कितने लोग हैं जिन्हे आपकी मदद की दरकार है। आज मैं फरीदाबाद आपसे इन्ही फेरीवालों की मदद करने के लिए गुहार लगाने आया हूँ।
महामारी के दौर में जिस तरीके से इन मासूमों के व्यवसाय पर गाज गिरी है मेरी अपील है कि फरीदाबाद वासी इसे समझे। मेरे प्रांगण में बहुत से फेरीवाले ऐसे हैं जो दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हो रखे हैं।
एक परिवार के दुख से आपका परिचय करवाता हूँ। आपको बताता हूँ कि फरीदाबाद में भी एक बाबा हैं जो अपने सालों की कड़ी मेहनत के मेहनताने की दरकार कर रहे हैं। सेक्टर 3 का एक छोटा सा ठेला जिसमे उन्होंने अपने परिवार और पोतियों का पेट पालने का बीड़ा उठाया है।
एक बेटा है जो दिव्यांग है और अपने आप से परेशान है और उस बेटे की 2 बेटियां जिनका भार अब बाबा के कन्धों पर आ गया है। पकौड़े तलकर बाबा ने अब इन बच्चियों को पढ़ाने का फैसला किया है। पर लॉक डाउन ने पकौड़े वाले बाबा के व्यवसाय को धराशाही कर दिया है।
न लोग आ रहे हैं न पकौड़े खा रहे हैं अब बाबा के आगे बस मुश्किलें ही मुश्किलें हैं। कहते हैं कि उम्मीद पर दुनिया कायम है इन छोटे दुकानदारों, रेहड़ीवालों और फेरीवालों की उम्मीद आप हैं। आशा करता हूँ कि आने वाले समय में फरीदाबाद के बूढ़े बाबा भी अपने सपने जी पाएंगे।