एक एक सांस के लिए मोहताज होते जा रहे क्षेत्र वासी, प्रदूषण ने बिछाया हुआ है जाल

0
309

फरीदाबाद क्षेत्र की आबोहवा पिछले काफी समय से खराब चल रही है। प्रदूषण को नियंत्रित करना मुश्किल होता जा रहा है। लगातार तीन दिन से प्रदूषण के स्तर में इजाफा होते जा रहा है जिसपर विराम लगाना मुश्किल हो गया है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी देशभर के एक्यूआई के अनुसार सोमवार को फरीदाबाद का एक्यूएआई 300 पहुँच चुका है। आपको बता दें कि इससे पूर्व एक्यूआई 298 दर्ज किया गया था। रविवार से ही एक्यूआई दर में बढ़ोतरी शुरू हुई और अब यह 200 का आंकड़ा पार कर चुकी है।

एक एक सांस के लिए मोहताज होते जा रहे क्षेत्र वासी, प्रदूषण ने बिछाया हुआ है जाल

इससे पूर्व कुछ समय के लिए शहर वासियों को प्रदूषण से राहत मिली थी पर पुनः प्रदूषण के स्तर के हालात बुरे बना दिए हैं। रविवार से ही शहर की आबोहवा खराब होना शुरू हो चुकी है जिसको नियंत्रण में लाना मुश्किल बन गया है। बात की जाए बीते हफ्ते की तो शुक्रवार और शनिवार को एक्यूआई मॉडरेट था, प्रदूषण के स्तर ने 200 के आंकड़े को नहीं छुआ था।

एक एक सांस के लिए मोहताज होते जा रहे क्षेत्र वासी, प्रदूषण ने बिछाया हुआ है जाल

पर रविवार के बाद से ही एक्यूआई स्तर में इजाफा होता जा रहा है। 23 नवंबर तक प्रदूषण का स्तर 300 से नीचे बना हुआ था। लेकिन 24 नवंबर को जिले का एक्यूआई 312 रहा जोकि 27 नवंबर को 178 अंकों की गिरावट के साथ 134 तक लुढ़क गया। वहीं 28 नवंबर को एक्यूआई में थोड़ा इजाफा हुआ और इसका स्तर 171 तक आ पहुंचा।

एक एक सांस के लिए मोहताज होते जा रहे क्षेत्र वासी, प्रदूषण ने बिछाया हुआ है जाल

रविवार से ही पूरे क्षेत्र ही हवा पलट गई जिसमे प्रदूषण की मात्रा बढ़ने लगी। आपको बता दें कि दिवाली से पूर्व भी क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर काफी तेजी से बढ़ रहा था। पर बारिश होने के बाद प्रदूषण के क्रमांक में गिरावट आई और क्षेत्र की हवा सांस लेने लायक बन गई। पर पुनः प्रदूषण पर काबू पाना कठिन होता जा रहा है।

एक एक सांस के लिए मोहताज होते जा रहे क्षेत्र वासी, प्रदूषण ने बिछाया हुआ है जाल

आपको बता दें कि कुछ माह पूर्व अध्यन में यह पाया गया था कि फरीदाबाद में एनआईटी क्षेत्र सबसे प्रदूषित इलाका है और सेक्टर 16 में प्रदूषण सबसे कम है। पर हाल फिलहाल आई रिपोर्ट में पाया गया कि सेक्टर 16 में ही अब प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा है। प्रदूषण का बढ़ता स्तर कार्य प्रणाली के गले की हड्डी बनता जा रहा है ऐसे में अनिवार्य है कि सोच समझकर कदम उठाए जाएं।