साजिश कह लीजिए या फिर शरारत, इनमें से एक बना 100 साल के पुराने बरगद के लिए आफत

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अरावली पहाड़ भू माफियाओं के लिए एक अड्डा बन चुका है। जहां यह भूमाफिया अपनी मनमानी करते हैं। इतना ही नहीं इन्हें तो अरावली पहाड़ियों की सुंदरता से भी इतनी चिढ़ हो गई है कि इन्हें कटवा कर यहां लगातार जमीन पर कब्जा करने का दौर जारी है।

अरावली पहाड़ियों ने जहां फरीदाबाद को इतना सौंदर्य रूप दिया हुआ है। वहीं विभाग की लापरवाही के चलते यह सौंदर्य फरीदाबाद से छिनता हुआ दिखाई दे रहा है। आलम यह है कि यहां भू माफियाओं का दौर जारी है और विभाग है कि कुंभकरण की नींद में सोया हुआ है।

साजिश कह लीजिए या फिर शरारत, इनमें से एक बना 100 साल के पुराने बरगद के लिए आफत

इसी काफी में ताजा मामला अनंगपुर गांव के रकबे में आने वाले पहाड़ में बड़ वाली झील के पास मशहूर कृत्रिम झील के पास करीब 100 साल पुराना बरगद का पेड़ जलाने का सामने प्रकाशित हुआ है। जानकारी के मुताबिक इस पेड़ पर बंदरों व अन्य पक्षियों का भी आशियाना हुआ करता था। उक्त घटना अक्टूबर माह की बताई जा रही है, लेकिन पेड़ जलने वाली वीडियो इंटरनेट मीडिया पर हाल ही में तेज़ी से वायरल हो रही है।

वही सबसे दुखद बात तो यह है कि सभी घटना आंखों देखी होने के बावजूद भी विभाग आंख मूंदे बैठा है और अभी तक कोई भी कानूनी कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई। वही वन अधिकारी राजकुमार ने तो यह दावा किया कि सूरजकुंड थाने में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।

साजिश कह लीजिए या फिर शरारत, इनमें से एक बना 100 साल के पुराने बरगद के लिए आफत

दशकों पहले इस क्षेत्र में खनन होता था। इसकी वजह से यहां कृत्रिम झील बन गई है। इसी झील के आसपास अनंगपुर गांव के लोगों की जमीन है। झील के पास एक वर्षों पुराना बरगद का पेड़ भी था।

इसी पेड़ की वजह से इस कृत्रिम झील का नाम बड़ वाली झील पड़ा। जब से यहां पंजाब भू संरक्षण अधिनियम की धारा 4 और 5 लागू हुई, तभी से खनन सहित अन्य गतिविधियां बंद कर दी गई हैं। पेड़ को बचाने की खूब कोशिश की

सेव अरावली के सदस्य कैलाश बिधुड़ी व संजय राव बागुल ने बताया कि पेड़ में दीमक लग गई थी। इसे बचाने की खूब कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली। एक कंपनी के कर्मचारियों को यह पेड़ दिखाया भी गया था ताकि दीमक को मारा जा सके। उन्होंने बताया कि बेशक पेड़ सूख चुका था,

लेकिन इसे जलाया कतई नहीं जाना चाहिए था। इस पेड़ पर बड़ी संख्या में बंदरों व अन्य पक्षियों का आशियाना था। यह किसी की साजिश हो सकती है। इसलिए मामले की गंभीरता से जांच होनी चाहिए। सबसे पहले वन विभाग को मुकदमा दर्ज कराना चाहिए। पहले भी आए हैं मामले

साजिश कह लीजिए या फिर शरारत, इनमें से एक बना 100 साल के पुराने बरगद के लिए आफत

सेक्टर-11-12 के विभाज्य मार्ग पर भी एक शोरूम संचालक ने पेड़ को हटाने के लिए इसकी जड़ में तेजाब डाल दिया गया था, लेकिन इस मामले में भी कार्रवाई नहीं हो सकी। कहीं ना कहीं मामले इस बात का जीता जागता उदाहरण पेश कर रहे हैं कि सब कुछ देखने के बावजूद भी विभाग कोई कानूनी कार्यवाही अमल में नहीं ला रह या फिर यूं कहें कि लाना ही नहीं चाहता।

आज अगर विभाग अपनी कार्यवाही में पूरी ईमानदारी व निष्ठा दिखाता तो शायद जो वीडियो आज हम इंटरनेट पर वायरल होते हुए देख रहे हैं उसे नहीं देखा जाता। वह पक्षी और बंदर जो अपना आशियाना 100 साल के पुराने बरगद के पेड़ पर सजा बैठे थे। आज उन्हें अपने ही आशियाने से बेघर ना होना पड़ता। पर कहते हैं ना जानवरों के पास जुवान नहीं होती लेकिन इंसानों के पास भी सब कुछ होते हुए आज मुख दर्शक बना बैठा हैं।