कोरोना वायरस महामारी से अपने बूते पर लड़ रहे भारत को जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांचवीं बार संबोधित किया तो इस स्थिति में स्वयं को विश्व के सामने एक मजबूत देश के रूप में प्रस्तुत करने का आत्मनिर्भरता का फार्मूला देश को बताया और बताया कि किस प्रकार आत्मनिर्भरता के रास्ते पर चलकर भारत इस स्थिति से पार पाकर दुनिया के सामने विश्व गुरु बन कर उभर सकता है।
भारत में इस महामारी से लड़ने के लिए एवं अपने बलबूते पर भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था को अन्य देशों के मुकाबले बेहतर बनाकर इस महामारी से निजात पाने के लिए आत्मनिर्भर होने के सभी संभव प्रयासों पर कार्य करना शुरू कर दिया है।
जिसके चलते कोरोना के खिलाफ जंग में केंद्र सरकार रैपिड टेस्ट की बजाय अब देश में ही तैयार एलाइजा टेस्ट के इस्तेमाल पर जोर देगी। इस किट का निर्माण जायडस कैडिला ने शुरू कर दिया है। कुछ दिनों में जिला स्तर पर इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करा दी जाएगी।
सरकार की योजना है कि कोरोना संक्रमितों के सर्विलांस के लिए एलाइजा टेस्ट का ही इस्तेमाल किया जाए, लेकिन जब तक इस किट का पर्याप्त उत्पादन नहीं होता, तब तक ग्रीन जोन में पूल्ड आरटीपीसीआर टेस्ट भी किए जाएंगे। आईसीएमआर के एक अधिकारी के अनुसार, कैडिला के अलावा तीन अन्य कंपनियों को यह तकनीक देने की प्रक्रिया पर काम किया जा रहा है।
एनआईवी पुणे द्वारा विकसित एलाइजा किट से अब कोरोना जांच आसान होगी। इस किट के जरिए एक बार में 90 टेस्ट किए जा सकते हैं जिसमें केवल ढाई घंटे का समय लगता है। यह बहुत किफायती है और इस टेस्ट में शरीर में बनने वाली आईजीजी एंटीबाडीज का टेस्ट भी किया जा सकता है, जिसमें सक्रिय वायरस नहीं होता है। इसलिए टेस्ट के दौरान अधिक सुरक्षा की जरूरत भी नहीं होती है।