ऐसा नहीं है कि पुलिस सुनती नहीं है। पुलिस के बड़े अधिकारी खूब सुनते हैं। राहत भी देते हैं मगर सिर्फ हमें प्रयास करने में चूक नहीं करनी चाहिए। आपने ऐसे अनेक मामले सुने होंगे, जब पुलिस ने लोगों को राहत दी मगर ऐसा पहला मामला होगा जब एक छात्र का पांच हजार रुपये का चालान सिर्फ एक ट्वीट करने से रद कर दिया गया।
असल में जो लोग सोशल मीडिया का उपयोग सही अर्थों में करते हैं उन्हें इसका तुरंत फायदा आसानी से मिल जाता है मगर जो लोग इसका दुरुपयोग करते हैं, उनकी वजह से वास्तविक हकदार भी अपने अधिकार से वंचित रह जाता है।
उत्तर प्रदेश के इटावा क्षेत्र के गांव हरिहरपर निवासी छात्र दीपेंद्र यादव दो दिन पहले अपनी पढ़ाई खत्म कर शहर से मोटरसाइकिल पर गांव जा रहा था तो वाहनों की जांच कर रहे पुलिसकर्मियों का उसका पांच हजार रुपये का चालान केवल इसलिए कर दिया कि उसकी मोटरसाइकिल की नंबर प्लेट का एक नंबर हट गया था।
पांच हजार रुपये का चालान देखकर दीपेंद्र के सामने तो जैसे अंधेरा ही छा गया था मगर उसने अपनी गलती मानते हुए इटावा के एसएसपी आकाश तोमर को एक ट्वीट किया जिसमें दीपेंद्र ने कहा कि सर, मैं छात्र हूं और मेरे घर की हालत ऐसी नहीं है कि पांच हजार रुपये का चालान भुगता जा सके। हां, उसकी गलती है।
जिसके लिए वह आर्थिक की बजाये शारीरिक दंड पाने को तैयार है तथा भविष्य में ऐसी गलती किसी भी सूरत में नहीं होगी। इस माफीनामे के ट्वीट के बाद एसपी आकाश तोमर (2013 के आइपीएस अधिकारी) ने ट्वीटर पर ही दीपेंद्र का चालान रद कर दिया। दीपेंद्र के ट्वीट पर एसएसपी के इस कदम की पूरे देश में चर्चा हो रही है।