अवैध कामों में हरियाणा ने मास्टर्स कर ली है। यहां हर वो अवैध काम किया जा रहा है, जिस से आम इंसान से लेकर जानवर सभी को परेशानी हो। नियमों को ताक पर रखकर कृषि भूमि की रजिस्ट्री बीते चार साल से होती आ रही हैं। 2020 में नहीं, 2017 से 19 में भी नियमों का खूब उल्लंघन हुआ। 2017 से अक्तूबर 2020 तक हरियाणा शहरी विकास अधिनियम, 1975 की धारा-7क का उल्लंघन कर कृषि भूमि की 49197 रजिस्ट्री हुईं।
प्रदेश में लगातार यह संख्या बढ़ती जा रही है। रुकावट दिखाई नहीं दे रही है। यदि पिछले कुछ सालों की बात करें तो, सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि पर अवैध कॉलोनियां बसाने का सिलसिला तेज हुआ है। अधिकारी इसको लेकर चुप्पी साधे हुए हैं।
कृषि भूमि पर अगर अवैध तरीके से कब्जा कर लिया जाएगा, तो आने वाले समय में यह हमें ही परेशानी देगा। इन सब बातों से कब्ज़ा करने वाले वालों को कोई फर्क नहीं पड़ता है। प्रदेश में अधिकारियों से सांठगांठ कर बिल्डर लॉबी ने रजिस्ट्री कराने के बाद कॉलोनियां भी काट डाली। सरकार की ओर से विधानसभा में सदन पटल पर रखे गए दस्तावेजों से इसका खुलासा हुआ है।
प्रदेश में अवैध निर्माण कार्य धड़ल्ले से चल रहे हैं। इनको रोकने वाला कोई नहीं है। वर्ष 2017 से अक्तूबर 2019 व अक्तूबर 2019 से अक्तूबर 2020 तक धारा-7क का उल्लंघन कर राज्य में 49197 बैनामा पंजीकृत हुए। सरकार ने वर्ष 2014 से दिसंबर 2020 तक हरियाणा शहरी विकास विनियमन अधिनियम, 1975 का उल्लंघन होने पर अवैध कॉलोनी और प्लॉट काटने वालों के खिलाफ 1127 एफआईआर दर्ज करवाई हैं।
अधिकारीयों से मिलीभगत कर पैसे वाले कुछ भी करवा सकते हैं। इसी बात की तरफ यह खुलासा इशारा कर रहा है। कृषि भूमि खेती के लिए रहना इन्हें नागवार गुज़र रहा है।