किसान आंदोलन लगातार जारी, खाने के लिए सामग्रियो की कमी तो खेती के लिए मुफ्त दी जमीन

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लगभग 4 महीने बीतने को है लेकिन अपनी मांगों पर अड़े किसान कृषि कानून के खिलाफ अपना विरोध व्यक्त करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बावजूद इसके कहीं ना कहीं किसानों के लिए सब्जी व फसल पैदावार की कमी समस्या का कारण बनी हुई थी।

मगर अब पंजाब से आ रहें किसानों की समस्या को देखते हुए और उनके खाने पीने की व्यवस्था के लिए यहां के किसानों ने अपनी जमीन मुफ्त में देनी शुरू कर दी है ताकि खेती बाड़ी की जा सकें।

किसान आंदोलन लगातार जारी, खाने के लिए सामग्रियो की कमी तो खेती के लिए मुफ्त दी जमीन

जिसके उपरांत पंजाब से आये किसानों ने उसके खेत की जुताई कर सब्जियां उगाने की तैयारी कर दी है। खेत मे उगने वाली सब्जियों को किसानों को मुफ्त में उपलब्ध करवाई जाएगी।

इसी बीच पंजाब के अमृतसर से आए किसान बिजेंद्र सोढी बताते है कि हमारा किसानों का धरना दिल्ली बॉर्डर पर 26 नवंबर को यहां आये थे। जिसके बाद इस धरने को चार माह बीतने को है।उन्होंने हरियाणा के किसानों की प्रशंसा करते हुए बताया कि।हरियाणा के किसानों ने पंजाब से आये किसानों की खूब सेवा की है ।

किसान आंदोलन लगातार जारी, खाने के लिए सामग्रियो की कमी तो खेती के लिए मुफ्त दी जमीन

उन्होंने फ्री दूध,खाने पीने के लंगर से सेवा की है। हमारा पंजाब हरियाणा के भाई चारा मज़बूत हुआ है। सर्दी के समय मे सब्जियों की कमी नही थी लेकिन गर्मी के सब्जियों की कमी शुरू हो गई। यहां के एक बालौर गांव के किसान ने अपने खेत धरने पर बैठे किसानों के लिए सब्जी उगाने के लिए मुफ्त में दे दी है।

वहीं नारायण सिंह यादव किसान ने कहा कि मेरे खेत पंजाब से आये किसानों के धरने के निकट होने के कारण अब उनके साथ मिलकर सब्जी पैदा करेंगे। पंजाब हरियाणा का भाईचारा 1966 से पहले भी था और आज भी है।

किसान आंदोलन लगातार जारी, खाने के लिए सामग्रियो की कमी तो खेती के लिए मुफ्त दी जमीन

जिसे मजबूत करने के लिए इन किसानों की मदद के लिए मैंने अपने खेत इन्हें मुफ्त में सब्जियां उगाने के लिए दे दिए है इन्होंने अपने ट्रैक्टरों से खुद जुताई भी कर दी है। जब तक धरना चलेगा ये मेरे में खेत मे सब्जियां उगाकर किसानों के लिए फ्री में देंगे।

जिस तरह से किसान अपने रास्ते में आने वाले हर मुश्किल हालात को सहजता से समझते बुझते हुए समस्या का हल करते हुए आगे बढ़ रहे है। मानो ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अब किसान चाहे कुछ भी हो जाए हार नहीं मानने वाले हैं। चाहे उनके सामने कितनी परेशानी क्यों ना आ जाए डट कर उसका सामना जरूर करेंगे।