भारतवर्ष में वैक्सीन को शुरू करने से पहले कोवैक्सीन पर रिसर्च की गई थी। इसके लिए पूरे भारतवर्ष में करीब 25800 लोगों को वॉलिंटियर के तौर पर वैक्सीन की डोज़ लगाई गई थी। लेकिन उन लोगों को यह नहीं पता था कि उनको वैक्सीन लगाई जा रही है या प्लेसिबो।
इस रिसर्च में ईएसआई मेडिकल कॉलेज अस्पताल को भी एक सेंटर बनाया गया था। जिसमें फरीदाबाद जिले के 1167 लोगों को ऐसा वॉलिंटियर वैक्सीन की डोज लगाई गई थी।
एनआईटी 3 नंबर स्थित ईएसआई मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के रजिस्ट्रार व वैक्सीन के ट्रायल के नोडल ऑफिसर डॉ एके पांडे ने बताया कि नवंबर में कोवैक्सीन का ट्रायल फेस को शुरू किया गया था। जिसमें जिले के 1167 लोगों ने ट्रायल फेस में भाग लिया था।
उन्होंने बताया कि जिन भी लोगों ने ट्रायल फेस में भाग लिया था। उनको यह नहीं पता था कि उनको वैक्सीन लगाई जा रही है या प्लेसिबो। इसी के बारे में पता करने के लिए आईसीएमआर और भारत बायोटेक द्वारा सभी डाटा को अनब्लाइंड किया जा रहा है। जिसके बाद उनके पास पूरी सूची आ जाएगी कि किस व्यक्ति कोवैक्सीन लगी है और किसको प्लेसिबो।
जिस भी व्यक्ति कोवैक्सीन लगी है उसको दोबारा से व्यक्ति लगवाने की जरूरत नहीं है। लेकिन जिन व्यक्ति को प्लेसिबो लगा है उनको वैक्सीन लगाई जाएगी। वह भी कोवैक्सीन लगाई जाएगी। उन्होंने बताया कि वॉलिंटियर्स को कोविशिएल्ड नहीं लगाई जाएगी।
एक ही पांडे ने बताया कि बुधवार तक उनके पास उनके ट्रायल फेस में लगाए गए लोगों की सूची आ जाएगी। जिसमें उनको पता चल जाएगा कि किस को प्लेसिबो लगाया गया है। जिनको वैक्सीन लगी है उनको तो वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं है। लेकिन जिन को प्लेसिबो लगाया गया है उनको मेडिकल कॉलेज में कोवैक्सीन लगाई जाएगी।
डॉ एके पांडे ने बताया कि उनके द्वारा सबसे पहले 45 साल से ऊपर वाले व्यक्तियों को कोवैक्सीन लगाई जाएगी और उसके बाद अन्य लोगों को कोवैक्सीन लगाई जाएगी। उन्होंने बताया कि बुधवार तक उनके पास सभी वॉलिंटियर्स की लिस्ट आ जाएगी। जिसमें उनको पता चल जाएगा। किस किसको प्लेसिबो लगा है और किसको कोवैक्सीन लगाई थी। जिनको प्लेसिबो लगा है उनको कॉल करके को वैक्सीन के लिए बुलाया जाएगा।