प्रदेश में बहुत बड़े-बड़े घोटाले हुए हैं। किसी की भी सरकार रही हो हर सरकार में कोई न कोई ऐसा काम हुआ है जो सरकार पर से भरोसा उठा देता है। पिछले 4 साल में रजिस्ट्रियों में बरती गई कोताही को लेकर प्रदेश सरकार ने 300 अधिकारियों पर कार्रवाई की तैयारी कर ली है। इन अफसरों पर रूल-7 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण गत वर्ष अंधाधुंध अवैध रजिस्ट्रियां हुईं थी। अब सरकार इनको दोषी पाए जाने पर कर्मचारी या अधिकारी को चेतावनी देकर छोड़ा जा सकता है, निंदा की जा सकती है। एक वर्ष तक पदोन्नति रोकने के अलावा वेतन वृद्धि रोकी जा सकती है, जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई भी कराई जा सकती है। हालांकि अंतिम निर्णय सीएम मनोहर लाल को करना है।
अवैध तरीके से रजिस्ट्रियां हर जिले में हुईं थी। अवैध निर्माणों की भी अधिकारीयों ने रजिस्ट्री कर दी थी। सरकार ने पिछले दिनों में हिसार, फरीदाबाद, गुड़गांव, रोहतक, करनाल, अम्बाला के डिविजन कमिश्नरों से इस संदर्भ में जांच करने के आदेश दिए थे। जांच रिपोर्ट सीएमओ में भेज दी है। अफसराें को सस्पेंड करने की बजाए सरकार रूल-7 के तहत कार्रवाई कर सकती है। इन अफसरों में सबसे अधिक तहसीलदार, पटवारी व अन्य अफसर शामिल हैं।
एक साथ इतने सारे कर्मचारियों और अधिकारियों को सस्पेंड कर के सरकारी काम रुक सकते हैं। इसलिए अब रूल 7 के तहत कार्रवाई होगी। प्रदेश में रजिस्ट्री का नियम ये है कि किसी भी तहसील में जब रजिस्ट्री होती है तो तहसील में लगे कैमरे से फोटोग्राफी होती है, लेकिन जांच में यह सामने आ चुका है कि कई रजिस्ट्री मोबाइल से फोटो कर की गई हैं। ऐसे में इस तरह की रजिस्ट्रियों पर सवाल खड़े हुए थे।
हरियाणावासी काफी हैरान हैं कि कितने प्रकार के घोटाले कोई कर सकता है। रजिस्ट्री घोटाले ने आमजन का भरोसा सरकार से उठा दिया है। सख्त कार्रवाई की अपेक्षा दोषियों के खिलाफ आमजन चाहती है।