दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों के लिए एक राहत भरी खबर है। इस खबर को सुनने के लिए किसान काफी समय से प्रतीक्षा कर रहे थे। दरअसल, पराली जलाकर दिल्ली-एनसीआर की हवा प्रदूषित करने वाले किसानों को अब जेल नहीं होगी। यही नहीं, उन पर एक करोड़ रुपये तक के मोटे जुर्माने का प्रविधान भी खत्म कर दिया गया है।
किसान आंदोलन को 140 दिनों से अधिक समय हो गया है। लगातार किसान धरने पर डटे हुए हैं। धरने में शामिल किसानों को राहत देते हुए सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का पुनर्गठन कर इस आशय की नई अधिसूचना से उक्त दोनों ही प्रविधान हटा लिए हैं। इसके अलावा आयाेग में एक सदस्य कृषि क्षेत्र से भी शामिल किया जा रहा है।
हर साल सर्दी के मौसम में पराली जलने के कारण दिल्ली – एनसीआर के क्षेत्रों में प्रदूषण जमा जो जाता है। जब अक्टूबर 2020 में 18 सदस्यीय आयोग का गठन हुआ था तो आयोग को पराली जलाने वाले किसानों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करने के अधिकार दिए गए थे। इनमें दोषी किसानों पर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने और पांच साल तक के लिए जेल भेजने का प्रविधान भी था।
वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया था। अब इस कदम को पीछे कर लिया गया है। कृषि कानून विरोधी आंदोलनकारियों की मांगों में एक मांग यह प्रविधान हटाने की भी थी। पिछले दिनों जब केंद्र सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच विज्ञान भवन में बैठक हुई, तब भी इस मांग पर प्रमुखता से जोर दिया गया था। इसी के मददेनजर केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों में संशोधन से जुड़ी अन्य मांगों के साथ किसानों की इस मांग को भी स्वीकार कर लिया है।
आंदोलन को समाप्त करने का प्रयास मोदी सरकार तत्परता से कर रही है। लगातार सरकार प्रयासरत है। किसान अपनी ज़िद पर कायम हैं। किसानों ने दिल्ली को अपंग बना दिया है।
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