महामारी में सभी की स्थिति में कुछ न कुछ बदलाव ज़रूर हुआ है। कोई कालाबाज़ारी कर के अमीर हो रहा है तो कोई मेहनत की कमाई खत्म कर के रोटी खा रहा है। महामारी के इस काल में युवाओं की 130 सदस्यों वाली टोली ने कमाल कर दिखाया है। इस टोली के पास रुपया पैसा नहीं था। दूसरे संसाधनों का भी अभाव रहा। इसके बावजूद इन युवाओं ने सोशल मीडिया के जरिए बेड की उपलब्धता, प्लाज्मा डोनेशन, ऑक्सीजन, टेस्टिंग प्रक्रिया और दवा व इंजेक्शन आदि को लेकर शानदार काम किया है।
संकट के समय में मदद करने वाले कम और फायदा उठाने वाले ज़्यादा मिलते हैं। लेकिन इन युवाओं ने सभी की मदद करके एक अच्छा संदेश दिया है। यह टोली अपनी गतिविधियों में ‘समय’ पर सबसे ज्यादा फोकस कर आगे बढ़ती रही। युवा हल्लाबोल की इस टोली के कुछ सदस्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हैं, तो बाकी युवा, सरकार की अनियमिततों को लेकर सड़कों पर आंदोलन करते रहे हैं।
महामारी की दूसरी लहर में मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। हर तरफ माहौल काफी चिंताजनक है। इन युवाओं ने कोविडविन.इन के जरिए एक प्लेटफार्म खोला और अब इस टोली के पास मदद के लिए करीब 10 हजार आवेदन पहुंच चुके हैं। यह टोली देश के अधिकांश राज्यों को कवर कर रही है। वैश्विक महामारी में टोली ने जिस प्रबंधन के साथ लोगों की जान बचाई है, वह केंद्र और राज्य सरकारों के लिए अनुकरणीय है।
महामारी का रौद्र रूप इस समय चरम पर है। प्रदेश समेत देश में इस समय महामारी के मामलों में लगातार इज़ाफ़ा हो रहा है। इस टोली का कहना है कि सरकार के पास तमाम संसाधन हैं, अगर वह हमारी ‘टोली’ की तरह प्रबंधन पर ध्यान दें तो महामारी से जंग जीती जा सकती है। संक्रमण से लोगों को बचाने का अभियान शुरु करने से पहले ‘युवा हल्लाबोल’ संगठन केंद्र सरकार और विभिन्न राज्यों में सरकारी नौकरियों को लेकर हो रही धांधली या परीक्षाओं में दूसरी तरह की अनियमितता के मुद्दे पर लगातार आवाज बुलंद करता रहा है।
महामारी अपना प्रसार लगातार तेज़ी से कर रही है। हर तरफ भय का माहौल है। इस संगठन के कई सदस्यों के परिजन भी संक्रमण की चपेट में आ गए। इसके बावजूद वायरस से ग्रसित लोगों की मदद के लिए 130 युवाओं की एक विशेष टोली तैयार हो गई। अप्रैल में इस टोली ने अपना काम शुरु कर दिया।