15 जून 2005 को भारत में सूचना का अधिकार कानून को अधिनियमित किया गया और पूर्णतया 12 अक्टूबर 2005 को सम्पूर्ण धाराओं के साथ लागू कर दिया गया। सूचना का अधिकार को अंग्रेजी में राईट टू इन्फॉरमेशन कहा जाता है, जिसका तात्पर्य है, सूचना पाने का अधिकार। जो सूचना अधिकार कानून लागू करने वाला राष्ट्र अपने नागरिकों को प्रदान करता है। सूचना के अधिकार के द्वारा राष्ट्र अपने नागरिकों को अपनी कार्य प्रणाली और शासन प्रणाली को सार्वजनिक करता है।
नहीं मिली PM caresfund की information
The PIO of @PMOIndia replied to my RTI that #PMCaresFund is not a 'public authority' under s.2(h) of RTI Act. By denying application of the Act, Govt. has constructed walls of secrecy around the fund.@TheLeaflet_in @thewire_in @ThePrintIndia @scroll_in @TheQuint @thenewsminute pic.twitter.com/6ggYyFyOM4
— Sri Harsha Kandukuri (@SuryaHarshaTeja) May 29, 2020
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने आरटीआई अधिनियम के तहत एक आवेदन में मांगी गई सूचना को बताने से यह कह कर इनकार कर दिया कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 2 (एच) के तहत PM CARES FUND ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ नहीं है। आरटीआई आवेदन 1 अप्रैल को हर्षा कंदुकुरी द्वारा किया गया था, जो प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और आपात स्थिति राहत कोष (PM CARES FUND) के संविधान के बारे में जानकारी मांग रही थीं।
PMO की ये प्रतिक्रिया बेंगलुरु के एक लॉ स्टूडेंट हर्ष कंडुकुरी की RTI के जवाब में आई है । जानकारी के लिए आपको बता दें कि हर्षा ने RTI अप्रैल में दायर की थी । RTI में उन्होंने पीएम-केयर्स फंड की व्यवस्था, फंड के ट्रस्ट डीड की कॉपी और इसे बनाने को लेकर दिए गए सरकारी आदेश की जानकारी मांगी थी । पीएम-केयर्स फंड का पूरा नाम प्राइम मिनिस्टर सिटीजन असिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशन है।
29 मई को आवेदन का निपटान करते हुए पीएमओ के लोक सूचना अधिकारी ने कहा; “आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 2 (एच) के दायरे में पीएम कार्स फंड एक सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है। हालांकि, PM Cares फंड के संबंध में प्रासंगिक जानकारी वेबसाइट pmcares.gov.in पर देखी जा सकती है।”
ट्रस्ट डीड की प्रतियां, और PM CARES FUND से संबंधित सरकारी आदेश / अधिसूचनाएं निधि की आधिकारिक वेबसाइट पर नहीं देखी गई।
RTI के तहत ‘पब्लिक अथॉरिटी ‘क्या है?
जानकारी के लिए आपको बताना चाहेंगे की आरटीआई अधिनियम की धारा 2 (एच) के अनुसार, “पब्लिक अथॉरिटी” का अर्थ है किसी भी प्राधिकरण या निकाय या स्व-सरकार की संस्था स्थापित या गठित, – (ए) संविधान द्वारा या उसके तहत; (ख) संसद द्वारा बनाए गए किसी अन्य कानून द्वारा; (ग) राज्य विधानमंडल द्वारा बनाए गए किसी अन्य कानून द्वारा; (डी) उपयुक्त सरकार द्वारा जारी अधिसूचना या आदेश द्वारा। ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ की परिभाषा में सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा स्वामित्व, नियंत्रित या पर्याप्त रूप से वित्तपोषित निकाय और उपयुक्त सरकार द्वारा प्रदान किए गए धन द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वित्तपोषित शामिल हैं।
जानिए RTI लगाने वाले हर्षा ने क्या बताया ?
बेंगलुरु की अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में लॉ स्टूडेंट हर्षा कंडुकुरी के हवाले से ‘द हिंदू’ ने बताया, “जब हमारे पास प्रधानमंत्री नेशनल रिलीफ फंड (PMNRF) मौजूद है, तो दूसरे फंड की जरुरत मुझे समझ नहीं आई. मैं इस फंड की व्यवस्था और इसके ट्रस्ट के उद्देश्य के बारे में जानना चाहता था. मैं ट्रस्ट डीड पढ़ना चाहता था.”
छात्र नहीं मानेगा हार, करेंगे आगे अपील ।
‘द हिंदू’ की रिपोर्ट के मुताबिक, कंडुकुरी अब आगे अपील करने की योजना बना रहा है। इस अपील में वो तर्क करेंगे कि पीएम-केयर्स फंड का नाम, उसके ट्रस्ट का कंपोजिशन, एंब्लम का इस्तेमाल, सरकारी डोमेन नाम बताते हैं कि फंड एक पब्लिक अथॉरिटी है।
PM CARES FUND पर जानकारी देने से इनकार करने के अन्य उदाहरण इससे पहले, 27 अप्रैल को, पीएमओ ने एक विक्रांत तोगड़ द्वारा दायर एक आरटीआई आवेदन में निधि के विवरण को साझा करने से इनकार कर दिया था। आवेदक ने फंड के संबंध में पीएमओ से 12 बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी। PM CARES फंड 28 मार्च 2020 को किसी भी तरह की आपातकालीन या संकट की स्थिति जैसे COVID-19 महामारी से निपटने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ बनाया गया था। प्रधानमंत्री, PM CARES कोष के पदेन अध्यक्ष और रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री, भारत सरकार निधि के पदेन न्यासी होते हैं। कोष के निर्माण के बाद, विपक्षी सदस्यों ने कई सवाल उठाए कि जब प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय राहत कोष पहले से ही था तो एक अलग कोष की आवश्यकता क्यों थी।
सुप्रीम कोर्ट ने दो जनहित याचिकाओं (पीआईएल) को खारिज कर दिया जिसमें PM CARES के गठन की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा गया था कि याचिकाएं “गलत” और “एक राजनीतिक रंग होने के रूप में” थीं। यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्या पीएम कार्स फंड को भारत के नियंत्रक द्वारा लेखा परीक्षा के अधीन किया जा सकता है।
एनडीटीवी की एक समाचार रिपोर्ट, कैग कार्यालय के सूत्रों के हवाले से कहा गया है, “चूंकि निधि व्यक्तियों और संगठनों के दान पर आधारित है, हमें धर्मार्थ संगठन का ऑडिट करने का कोई अधिकार नहीं है”।
आप कितनी ही कोशिश क्यों ना करले लेकिन PM CaresFund पर RTI आप नहीं ठोक सकते , आपकी क्या राय है देश का नागरिक होने के नाते क्या हमे ये जानने का अधिकार नहीं की हम अपना दान किया हुआ पैसा कहां जा रहा है ?