न्यूजीलेंड के बल्लेबाज डेवोन कॉनवे चर्चा में हैं। उन्होंने कमाल ही ऐसा किया है।कॉनवे ने इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स मे खेले गए टेस्ट मैच के दूसरे दिन डबल सेंचुरी लगाकर इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करवा लिया। उनके 200 रनों की बदौलत ही कीवी टीम 378 रनों तक पहुंच पाई। कॉनवे की इस पारी के पीछे उनका सालों का संघर्ष है, एक कहानी है जो शायद बहुत कम लोगों को पता है।
अपने पहले टेस्ट मैच में दोहरा शतक जड़कर उन्होंने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। न्यूजीलैंड के इस ओपनर की कहानी निश्चित रूप से दिल को छू लेने वाली है। कॉनवे शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका में रहते थे लेकिन वहां की राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं बना पाने के बाद कॉनवे ने न्यूज़ीलैंड में नई शुरुआत करने की सोची।
उनकी उपलब्धि इसलिए भी बड़ी है, क्योंकि लॉर्ड्स के मैदान पर डेब्यू मैच में डबल सेंचुरी ठोकने वाले वो दुनिया के पहले बल्लेबाज बन गए हैं। 2017 में न्यूज़ीलैंड आने से पहले उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अपनी सारी जायदाद और कार बेच दी और सबकुछ छोड़कर वो न्यूजीलैंड में नए सिरे से शुरुआत करने के लिए पहुंच गए। कड़ी मेहनत और लगन के चलते न्यूजीलैंड की तरफ से टी20 में भी डेब्यू किया और अब अपने टेस्ट डेब्यू में दोहरा शतक लगाकर सभी के दिल में अपना घर बना लिया है।
कॉनवे ने 347 बॉल में 22 चौके और एक छक्के की मदद से 200 रन बनाए। कॉनवे आज जिस मुकाम पर हैं, आज उसके लिए कहीं न कहीं उनकी पार्टनर किम का भी बहुत बड़ा हाथ है। दरअसल, कोलपैक के तहत कॉनवे के लिए इंग्लैंड जाकर क्रिकेट खेलना सबसे अच्छा विकल्प था क्योंकि वह आधे दशक से भी अधिक समय तक इंग्लैंड में खेले थे लेकिन अपनी पार्टनर किम के कहने पर वो न्यूज़ीलैंड में जाकर बस गए और वहां पर क्रिकेट खेलने का सपना पूरा किया।
डेवोन आज जिस मुकाम पर उसके लिए उन्होंने कड़ा संघर्ष किया है। इंसान को कभी हार नहीं माननी चाहिए। आपका हौसला बुलंद होना चाहिए मुकाम तो मिल ही जाता है।