इन 12 जिलों के किसानों को नहीं मिलेगा ट्यूबवेल के लिए बिजली कनेक्शन, जानिए क्या है वजह

0
461

प्रदेश के कई जिलों में लगातार भूजल का स्तर कम होता जा रहा है। जो लोगों के लिए एक बड़ी परेशानी का सबब बना हुआ है। जिले के कई जगहों पर जमीन का पानी बड़ी ही मुश्किल से मिल पा रहा है। यही कारण है कि सेव अरावली के द्वारा फरीदाबाद जिले को डार्क जोन एरिया घोषित करने की बात कही जा रही है।

वही दूसरी ओर प्रदेश के लिए एक ओर बात चिंतापूर्ण बनी हुई है। दरअसल, प्रदेश में ट्यूबवेलों के लिए बिजली कनेक्शन की आस लगाए हुए किसानों को बड़ा झटका लगने वाला है। सरकार अब नए मानकों पर विचार कर रही है। जिससे अब ट्यूबवेल बिजली कनेक्शन भूजल स्तर पर आधारित होगा।

इन 12 जिलों के किसानों को नहीं मिलेगा ट्यूबवेल के लिए बिजली कनेक्शन, जानिए क्या है वजह

यदि ऐसा होता है तो प्रदेश के 12 जिलों के किसानों को ट्यूबवेल के लिए बिजली कनेक्शन से वंचित रह जाएंगे।इस योजना कृषि विभाग , सिंचाई विभाग और बिजली विभाग के द्वारा विचार विमश करने के बाद लागू की जाएगी।

अब तक 35 हजार किसानों को कनेक्शन मिल चुका है। वहीं 15 हजार किसान अभी भी बाकी है। सूत्रों के अनुसार अब सरकार 20 , 25 ,30 मीटर भूजल स्तर का मानक रखना चाहती है। यदि ऐसा होता है तो प्रदेश के 12 जिलों को बिजली कनेक्शन से वांछित रह जाएंगी।

इन 12 जिलों के किसानों को नहीं मिलेगा ट्यूबवेल के लिए बिजली कनेक्शन, जानिए क्या है वजह

जिसमें भिवानी, दादरी, करनाल, कुरुक्षेत्र, फतेहाबाद, कैथल, गुरुग्राम, महेंद्रगढ़, पानीपत, सिरसा, रेवाड़ी और फरीदाबाद भी शामिल हैं। इस समय प्रदेश का भूजल स्तर 21.16 मीटर मापा गया है। अगर मानक का दायरा 25 मीटर का रखा जाता है, तो प्रदेश के आठ जिलों के किसानों को ट्यूबवेल कनेक्शन से वांछित रह जाएंगे।

जिन में भिवानी, दादरी, फतेहाबाद, गुरुग्राम, कैथल, महेंद्रगढ और रेवाड़ी जिले शामिल हैं। इसके अलावा अगर दायरा 30 मीटर का होगा तो प्रदेश के चार जिलों के किसानों को ट्यूबवेल कनेक्शन से वांछित रह सकता है।

इन 12 जिलों के किसानों को नहीं मिलेगा ट्यूबवेल के लिए बिजली कनेक्शन, जानिए क्या है वजह

जिसमें कैथल, कुरुक्षेत्र, महेंद्रगढ़ और रेवाड़ी शामिल नहीं होंगे। अगर ऐसा होता है तो करीब 15000 किसानों को ट्यूबवेल में बिजली कनेक्शन नहीं दी जा रही है। जिससे उनको खेती करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। सरकार के द्वारा भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए प्लानिंग की जा रही है और उसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।