कुछ भी करने का जूनून सोने कहां देता है। अगर सो गए तो जुनून कहां, बस वोटो ख्वाब था। यूपीएससी को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। इसमें भी अगर कैंडिडेट हिंदी माध्यम से परीक्षा देने का फैसला करता है तो उसके लिए ये सफर और भी मुश्किल हो जाता है। हिंदी माध्यम के कैंडिडेट्स का अनुभव बताता है कि इस मीडियम में स्टडी मैटीरियल कम मिलता है या मुश्किल से अरेंज हो पाता है।
हमेशा आपको ऐसा बनना चाहिए जो आपसे प्रेरणा ले सकें। दीपक ने भी यही काम किया है। कोई कैंडिडेट अगर हिंदी माध्यम से परीक्षा दे रहा है और एक नहीं दो-दो बार सेलेक्ट हो रहा है तो उसमें कोई बात तो जरूर है। कुछ ऐसे ही खास हैं हमारे आज के कैंडिडेट दीपक कुमार जेवारिया। दीपक ने दो बार यूपीएससी सीएसई परीक्षा दी और दोनों बार सेलेक्ट हुए।
मेहनत का फल मिलता ज़रूर है। आप तत्परता से अगर काम करते हैं तो कोई भी आपकी मेहनत का फल आपसे नहीं ले सकता है। पहली बार के सेलेक्शन से उन्हें इंडियन डिफेंस और एकाउंट सर्विस एलॉट हुई और दोबारा के सेलेक्शन से मिला आईपीएस पद। दीपक सबसे पहली बात तो यह कहते हैं कि भले आप हिंदी माध्यम के स्टूडेंट हों या इस माध्यम से परीक्षा दे रहे हों लेकिन आपको इतनी इंग्लिश तो आनी ही चाहिए कि सामान्य किताबें और अंग्रेजी न्यूज पेपर में लिखी भाषा को भली प्रकार समझ सकें।
सफलता उनको मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है। इस पंक्ति को काफी लोग एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल देते हैं। लेकिन दीपक ने ऐसा नहीं किया। अगर आप समझेंगे तो उसे अपनी भाषा में लिख भी पाएंगे। इसलिए इस लेवल के अंग्रेजी ज्ञान को आत्मसात करने के लिए हमेशा तैयार रहें। दीपक ने तैयारी की शुरुआत में सबसे पहले बेसिक बुक्स और एनसीईआरटी की किताबों को चुना और अच्छे से पढ़ा।
पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। इस पंक्ति को गंभीरता से लेकर ही आप जीवन में सबकुछ हासिल कर सकते हैं। हौसलों से भरी उड़ान, समाज में बनाई अपनी खास पहचान इनके लिए यह कहना गलत नहीं होगा।