HomeGovernmentबेटे ने घर के रिनोवेशन की आड़ में जताई मकान में रहने...

बेटे ने घर के रिनोवेशन की आड़ में जताई मकान में रहने की इच्छा, मगर सुप्रीम कोर्ट ने किया दरकिनार

Published on

जिस तरह माता-पिता का उसके बच्चों पर पूर्ण अधिकार होता है। उसी तरह वहीं बच्चे भी बड़े होकर माता-पिता की मेहनत द्वारा तैयार किए गए मकान पर अपना हक जताने लगते हैं इसी के चलते कई बार तो बच्चों द्वारा ही मां-बाप को उनके ही घर से बेदखल कर दिया जाता है
ऐसा ही कुछ होता देख पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने इस तरह के नियमों पर प्रतिबंध लगाते हुए वरिष्ठ नागरिकों को कुछ ऐसे अधिकार दिए हैं, जिसके बाद उनके बच्चे मकान पर अपना हक जताने से पहले हजारों बार सोचेंगे।

दरअसल, यह पूरा मामला एक पिता के अपने बेटे और बहू को बेदखल करने से जुड़ा है। जिस पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 के तहत आदेश को बरकरार रखा। यह किस्सा तबसे शुरू हुए जबसे बेटा ये कहकर पिता के मकान में रहने की जिद नहीं कर सकता कि घर के नवीनीकरण (रेनोवेशन) में उसने खर्चा किया है।

बेटे ने घर के रिनोवेशन की आड़ में जताई मकान में रहने की इच्छा, मगर सुप्रीम कोर्ट ने किया दरकिनार

वहीं बेटे बहु ने कहा था कि मकान संयुक्त हिंदू परिवार की संपत्ति है और उन्हें इस मकान से बेदखल नहीं किया जा सकता क्योंकि उन्होंने मकान का नवीनीकरण करवाया है। इस मामले में पिता ने दलील दी थी कि ये मकान उनका खुद का बनाया हुआ है, ये संयुक्त हिंदू परिवार की संपत्ति नहीं है। ऐसे में कोर्ट ने साफ कर दिया कि वरिष्ठ नागरिक अधिनियम के तहत बेदखली का प्रावधान है, इसलिए बेटे की याचिका को खारिज किया जाता है।

इस मामले में बेटे ने ये दलील दी थी कि उसने मकान के ग्राउंड फ्लोर का रेनोवेशन करवाया था, जबकि पिता ने गिफ्ट या किसी और तरह के दस्तावेज के जरिए मकान को बेटे के नाम ट्रांसफर नहीं किया था। मामले में कोर्ट ने साफ कहा कि बेटा यह कहकर मकान में रहने का दावा नहीं ठोक सकता कि उसने रेनोवेशन करवाया था और ये उसका अधिकार है।

बेटे ने घर के रिनोवेशन की आड़ में जताई मकान में रहने की इच्छा, मगर सुप्रीम कोर्ट ने किया दरकिनार

इस दौरान जस्टिस हरनरेश सिंह गिल की बेंच ने गुरु ग्रंथ साहिब का उल्लेख किया और कहा कि बच्चों को अपने माता-पिता को भगवान का रूप मानना चाहिए। बता दें कि इस मामले में पिता ने बेटे और बहू को इसलिए मकान से बेदखल करने का आवेदन दिया था क्योंकि बेटा और बहू उनके साथ सही व्यवहार नहीं कर रहे थे और संपत्ति को हथियाना चाहते थे।

Latest articles

मैं किसी बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती – रेणु भाटिया (हरियाणा महिला आयोग की Chairperson)

मैं किसी बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती। इसके लिए मैं कुछ भी...

नृत्य मेरे लिए पूजा के योग्य है: कशीना

एक शिक्षक के रूप में होने और MRIS 14( मानव रचना इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर...

महारानी की प्राण प्रतिष्ठा दिवस पर रक्तदान कर बनें पुण्य के भागी : भारत अरोड़ा

श्री महारानी वैष्णव देवी मंदिर संस्थान द्वारा महारानी की प्राण प्रतिष्ठा दिवस के...

More like this

मैं किसी बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती – रेणु भाटिया (हरियाणा महिला आयोग की Chairperson)

मैं किसी बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती। इसके लिए मैं कुछ भी...

नृत्य मेरे लिए पूजा के योग्य है: कशीना

एक शिक्षक के रूप में होने और MRIS 14( मानव रचना इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर...