डॉक्टर्स ने टीकाकरण के बाद लोगों को आधे घण्टे तक ऑब्जर्वेशन रूम में रहने की हिदायत दी है जिससे अगर उनके शरीर पर टीकाकरण के बाद कोई बुरा प्रभाव पड़ता है तो वे जल्दी ही उसका इलाज कर सकें। लेकिन इन दिनों स्थिति बिल्कुल अलग है। विभागीय सुविधा होने के बावजूद टीकाकरण के बाद लोग सीधे अपने घर जा रहे हैं।
हाल ही में एक घटना की पुष्टि की गई है जिसमें टीकाकरण के बाद एलर्जी से एक बुजुर्ग की मृत्यु हो गई। लेकिन इसके बावजूद लोग लापरवाही कर रहे है।
जिला स्वास्थ्य विभाग ने बी.के. सिविल अस्पताल में 18 से 44 और 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को टीकाकरण की सुविधा मुहैया करवाई है। वहीं, पड़ोसी जिलों के लोग भी टीकाकरण के लिए बी.के. पहुंच रहे हैं।
लोगों का कहना है कि टीकाकरण के बाद उनके शरीर पर इसका कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ रहा। इसलिए टीकाकरण केंद्र पर रुकने का कोई फायदा नहीं है। दूसरी ओर लोग टीकाकरण को लेकर भ्रमित है। कंपनियों में भी काम करने के लिए टीकाकरण को अनिवार्य कर दिया गया है।
डॉ. मनोज भारद्वाज, बृहस्पतिवार को बी.के. सिविल अस्पताल के टीकाकरण प्रतीक्षा केंद्र में तैनात थे। उन्होंने बताया कि एक व्यक्ति के टीकाकरण में लगभग 2 मिनट का समय लगता है। सभी महत्वपूर्ण जानकारियां देने के बाद उन्हें ऑब्जरवेशन रूम में रहने के लिए कहा जाता है। हालांकि अधिकतर लोग टीकाकरण के बाद सीधे अपने घरों को रवाना हो जाते हैं।
जानकारी का अभाव
गुरुवार को गुरुग्राम से टीकाकरण के लिए बी.के. पहुंचे 45 वर्षीय सर्वेश ने बताया कि टीकाकरण के दौरान किसी भी कर्मचारी ने इसके साइड इफेक्ट या प्रतीक्षा को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं दी। 36 वर्षीय विष्णु ने बताया कि वह भी यहां टीकाकरण के लिए आए हैं और स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीकाकरण के बाद प्रतीक्षा करने पर कोई ज्यादा जानकारी नहीं दी गई। ऐसे में यहां बैठना समय की बर्बादी लगती है।
डॉ. रणदीप सिंह पुनिया का कहना है कि टीकाकरण को लेकर लोगों के बीच काफी जागरुकता फैलाई जा रही है। लोगों को इससे संबंधित सभी जानकारियां दी जा रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि टीकाकरण के साथ ऑब्जर्वेशन रूम में आधे घंटे साइड इफेक्ट या शरीर में महसूस होने वाली परेशानी को ऑब्जर्व करना बेहद जरूरी है। इस दौरान अगर किसी भी प्रकार की परेशानी होती है तो स्वास्थ्य विभाग तुरंत संज्ञान लेता है। हालांकि अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया।