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बेटी के लिए बुने थे स्वेटर लोगों ने तारीफ की, फिर शुरू की खुद की कम्पनी आज अनेकों को रोजगार दे रही हैं

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अपने बच्चों के गर्म कपड़े बुनना हमारे देश में हर घर में होता रहा है। सर्दी के मौसम में गर्म कपड़े बच्चों को ठंड से बचाते हैं। गर्भावस्था एक खूबसूरत अनुभव है, जिसे शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है। यह भावनाओं का एक ऐसा सागर होता है, जिसे एक मां ही समझ सकती है। कुछ ऐसी ही कहानी एक महिला की है, जिसे यह नहीं पता था कि उसका मातृत्व उसके लिए एक अलग तरह की खुशियां लेकर आएगा।

कड़ाके की ठंड से दादी और माँ के हाथों से बुने हुए कपड़ों ने ही हमें बचाया है। यह हुनर सभी को मिलता है। जब तारिषी जैन अपने मातृत्व की खुशियों का आनंद लेने में व्यस्त थीं और घर पर ही आराम कर रही थीं। उन दिनों ही उनकी सासु मां होने वाले बच्चे के लिए उपहार लेकर घर आईं, जिसमें बुनाई के कुछ सामान थे। जिन्हें देखकर ही तारिषी ने बुनाई करने का फैसला लिया, जो आज अजूबा के नाम से प्रसिद्ध हो चुका है।

बेटी के लिए बुने थे स्वेटर लोगों ने तारीफ की, फिर शुरू की खुद की कम्पनी आज अनेकों को रोजगार दे रही हैं

कोई एक अच्छा आईडिया आपको किसी भी समय कहीं से कहीं ले जाता है। आपको सफल बना देता है एक अच्छा आईडिया। तारिषी ने सबसे पहले अपनी बेटी के लिए कुछ कपड़े बुनें, जो उनके करीबी परिवार और दोस्तों को पसंद आए, जिससे प्रोत्साहित होकर उन्होंने और बुनाई करने का फैसला किया। उसके बाद उन्हें अधिक-से-अधिक लोगों से ऑर्डर मिलने लगे।

बेटी के लिए बुने थे स्वेटर लोगों ने तारीफ की, फिर शुरू की खुद की कम्पनी आज अनेकों को रोजगार दे रही हैं

बुनाई किये हुए कपड़ों में बच्चों को ठंड से ज़्यादा राहत मिलती है। इससे बच्चे कई बिमारियों से बच जाते हैं। बुनाई की बढ़ती डिमांड ने उन्हें अपने आसपास की महिलाओं की तलाश करने के लिए प्रेरित किया, जो न केवल बुनने का काम कर सकती थीं बल्कि उन महिलाओं को भी नियमित काम करने की आवश्यकता थी। उन्होंने अपने कार्य के महिलाओं को ढूंढा और उन्हें ट्रेनिंग देकर रोजगार भी दिया।

बेटी के लिए बुने थे स्वेटर लोगों ने तारीफ की, फिर शुरू की खुद की कम्पनी आज अनेकों को रोजगार दे रही हैं

कोई भी स्टार्टअप जब शुरू होता है तो उसमें कड़ी मेहनत की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। कड़ी मेहनत के बल पर स्टार्टअप से बड़ी कंपनी कब बन जाए कोई कह नहीं सकता।

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